~ राही~

*भटक रहा मकाम क्यू ,ढूंढ़ता मकान क्यु ? ये देश हैं "बादशाहों" का क्यू बन रहा "बेचारा" तू रास्ते पत्थर भरे , टूटे ना तेरा हौसला, मिटाकर सारे फासला मंज़िल तक चलता ही जाएगा," ये राह हैं राहगीरों का राही तो चलता जाएगा । *रख जोश को बुल्लनद कर," नन्हे पाऊ ना लड़खड़ाने दे ये देश हैं राजाओं का राजशाही ना खुद में आने दे याद कर लें झूठे वादे को ,थकने ना देना इरादों को मंजिल मिले तो ठीक है या मौत को गले लगा; ये राहहै राहगीरों का राही तो चलता जाएगा । *मजदूर हैं "मजबुर"नहीं क्यू खो रहा आत्मविश्वास को ," ये देश अंधविश्वासों का क्यू कर रहा विश्वास तू मदत को क्यू तरश रहा सब मस्त यहां "मदहोशी"में मंजिल को क्यू "तारता"कदमों तले माप रास्ता; ये राह है राहगीरों का राही तो चलता जाएगा। * "मां के गोद बेटा हैं बेटे के गोद मां" बच्चों के सिर पे बोझ हैं "ये दर्द कैसे भुलाएगा, गर सफ़र महफूज़...