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*मिथिला संस्कृति*

माँ जानकी की भूमि, गोतम बुद्ध की निशान बाबा वेदनाथ बिराजे, कोषी, बालन, गंडक गंगा नदी का पानी । मिथिला धाम के हम मैथिल मधुर है बोली - वाणी कवि विद्यापति की गाथा, मिथिलाक अमर निशानी। खान - पान की मिसालें,  आदर स्वभाव वाले  मैथिली है जिनकी बोली, मीठी जैसे रंगोली । इतिहास की मिसालें, पर्वत गर्व वाले  मिथिला है हम मैथिल है ।                             ~दीपशिखा झा

"सामाजिक प्रश्न"

जन्म दिया "तूने* इस धरती पर ये तेरा किया "अपराध"* है लड़की होना अभिशाप है । खुशियां देखा ना देखी बचपन सुना पड़ा है सारा जीवन  दर्द ही दर्द भरा मेरा दामन "तूने" दिया ये श्राप है लड़की होना अभिशाप है। इंसानी रूप में गूड़िया हैं बनाया ,कौन अपना कौन पराया खिलौना समझे पूरा संसार है लड़की होना अभिशाप है। मासूम किशोरी बिलखती रही एकबार फिर मर्द रूपी बनी भेडिये की शिकार है इसधरती पर स्त्री रूपी जन्म लेना "अपराध" है ,लड़की होना अभिशाप है।                             ~Deepshikha Jha *भगवान *गलती

"भूख"

न बड़ी शौहर न चैनो आराम  मांगता हूं, परकृति ने जो दिया उसका एहसान मानता हूं। न कर्मचारियों से दुआ न सलाम मांगता हूं, रोटी मिल - जुल बांट सकूं "रब" से इतना  सा काम मंगाता हूं। न गुज़रतें कारवां से बड़ी पहचान मांगता हूं सुख हो या दुःख हो "पेट रोटी मांगता हैं" भूख से थोड़ी आराम मांगता हूं। न सफलता को सिर चढ़ने दिया, न असफत में डुबोया ख़ुद को, सुरो में गुम "संगीत" के और नशा  न हुआ मुझ को।                      ~दीपशिखा झा✍️