* ए वतन *
ए मेरे वतन ये "तीन रंग" रहता हमेशा शान से लहराता हुआ हवाओं में बातें करें आसमान से। तिरंगा ए इश्क़ मेरे वतन ,"चूनर" बनाके ओढ़ लूं शान से रखूं सिर अपने ,जब चाहें ये "कफ़न" बने। केसरिया रंग हो उस"सिंदूर"का जो माथे पर सजे मेरे "माँ" कहलाऊं उस वीर का जो "देश" पर अपने मीटें। शांति का दूं "संदेश" मैं "सफ़ेद" वस्त्र पहनें हुए "गर्व" से मर जाऊं मैं, ओढ़कर "तीन रंग" ये। ए मेरे वतन ये "तीन रंग" बसी इसमें जान है यही "गौरव" हैं "देश" का यही हमारी शान हैं । ~Deepshikha Jha