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~तनहाई~

तनहा था तनहाई थी ,बात लबों तक ना आईं थी आज पूछे सब तेरे लिए ,पूछा ना होगा तेरी तनहाई तू मंद मंद मुस्कान बिखरे ,छिपाता रहा अपनी तनहाई   सरा जग सुना हुआ 

*सुशांत*

मन "आशांत" ,नाम " सुशांत" था तू भीड़ में "एकांत" था गांव "पूर्णिया" ,"पटना" बासी ,निर्मल गंगा तेरे "राख"की प्यासी । "महानगर" ने तुमको "मोहा", चमक - दमक ने तुमको "तोड़ा", तन्हा होकर "जीवन"से फ़िर तू अपना मुंह "मोड़ा"। "जीवन" का "सुख" छोड़ गया, सब "नाता- रिश्ता"तोड़ गया, अपनों को "तन्हा"  छोड़ गया ,चाहने वालों का "दिल" तोड़ गया। ज़िक्र करू कैसे तेरे " श्र्वन" का आंख से "टप-टप" छलके "मोती", एक "बेजुबान" संसार  में छोड़ गया।                               ~ Deepshikha Jha

अमिताभ

नभ में तैरता एक "सितारा" हैं आप । हर आंख में टीम - टीम करता "तारा" है आप। एक चांद "आसमां" में एक चांद हैं "जमी" पर। "सूरज" सा तेज़ बिखेरता "मुस्कान" है यही पर । नदियों की लहरें उठकर देती "सलामी" जिसको  "पवन" के झोंके अक्सर जुल्फें सबरें "उनके"। पंझी ,बहारें आकर धुन सुनती "जिनको", देखकर "विनम्र" उनको झुक जाती फूलों की डाली। मंदिर में बसी "मूरत" लगती हैं उनकी सूरत । जो मिट ना सके वो "निशान" है "विनम्रता" की पहचान है "नम्र" रहकर जोड़े हाथ सभी को  इतने " प्रतिभावान" है " अमिताभ" कहते लोग  उन्हें वहीं " ख्यतिवान" हैं।                              ~ Deepshikha Jha