खिड़की पर खड़ी निहारती राहें जिनको, हावाओं में उड़ती मेरे वतन की मिट्टी से एक संदेशा आया है वो जवान "शहीद" हुए जिन्हें भारत माँ ने गले लगाया है। तिरंगों में लिपटा हुआ जन हृदय में गौरव बन अमर हो तुम, मां की नम आंखों में फ़िर से एक जनम लो तुम, अजर हो उन दिलों में जिनके सफ़र जिंदगी से रूख़सत हुऐं । सिंच लहू इन मिट्टी में शांति के रंग बिखेरे है, पर्व बना गणतंत्र को संविधान में वर्णित नये सबेरे है ,आजाद, निर्भीक,आत्मनिर्भर लोकतंत्र आत्मसात हैं ए मेरे वतन तुझ पर नाज़ है । ~दीपशिखा झा
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जनवरी 25, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं