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~ खुबसूरती एक पिंजड़ा~

ए ख़ुदा अल्फ़ हैं तेरा या गुनह ए इश्क़ है किया    इस ज़ीनत जैसे चेहरा में क़ैद कर दिया । हर किसी की नज़र में  सपना बन जाती हूं  एक  प्रश्न  है  तुझ  से क्या किसी का अपना बन पाती हूं। सुनती हूं बचपन से खुबसूरती के क़िस्से  हर शख़्स कहते जिंदगी आसान इसके हिस्से ।  पिंजड़े में क़ैद पनक्षी खुशनुमा महसूस करता है  नज़रो में क़ैद रहना एक गुनाह सा लगता है। जूर्म कर जाता ये सूरत मेरा सीरत और काबीलियत   छिप जाता  इसके पीछे जब सामने रहता हैं सूरत  मेरा ।                                  ~Deepshikha Jha