दिल बेचारा
मासूम नदियां ,जल की धारा पवन के झोंके ना कोई किनारा ये "दिल बेचारा"! नहीं आता रुकने का ठिकाना, आता बस झुकने का बहाना। दरिया ऐसा सब डुबो देता हैं वारिश की तरह भिगो देता है। कोईअछूता नहीं इसकी कहर से "बेचारे दिल"की शहर से । वो तेरे पास वो मेरे पास भी एक सब का प्यारा "दिल बेचारा"। ~ दीपशिखा झा