~एक रात~

कैसी ये रात है ना तेरी -  मेरी बात है
दूरियां सिमटी है तन्हाई में ना वो लम्हें 
ना वो बरसात है ना तेरी - मेरी बात है ।
 
कैसी ये रात है ना तेरी हंसी की शोर ना 
वो मज़ाक जैसे नाचता मोर हर तरफ़
रात ही रात है ना तेरी - मेरी बात है । 

कैसी ये रात है ना कोई शिकवा ना
शिक़ायत है ना तेरी माफ़ी की गुज़ारिश
खामोश सारे अल्फ़ाज़ है ना तेरी - मेरी बात है।
                                ~Deepshikha jha




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