"कोरोना"
कोरोना का कहेर हैं ये समशान बना शहर है ये
सड़क हैं सूनसान पड़ा , मनुष्य है वेजान परा "।
जीवन है अनजान बना ,
पशुओं का पहचान बड़ा ।
अपने " अपनों से अनजाने है ,
सारा "जग" ही बेगाने हैं ।
निर्मल हुईं "गंगा "कि काया, ना जाने यह कोनसा साया। विचित्र , बना विनाश हैं ये पृथ्वी पर सर्वनाश ये ।
देवों का स्वराज हूआ " मन्दिर ,मस्जिद आज़ाद हूआ। गिरीजा घर भी सुना है,
गुरुद्वारा एक नमूना है ।
धारती पर घनघोर मचा है ,
चारों तरफ ये सौर मचा है।
कोरोना का कहेर हैं ये
समशान बना शहर है ये । Deepshikha Jha
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