संदेश

जून 4, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"कोरोना"

 कोरोना का कहेर हैं ये समशान बना शहर है ये   सड़क हैं सूनसान पड़ा , मनुष्य है वेजान परा "।                                 जीवन है अनजान बना ,                                 पशुओं का पहचान बड़ा ।     अपने " अपनों से अनजाने है ,          सारा "जग" ही बेगाने हैं ।         निर्मल हुईं "गंगा "कि काया, ना जाने यह कोनसा साया।    विचित्र , बना विनाश हैं ये पृथ्वी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌पर सर्वनाश ये ।                                देवों का स्वराज हूआ "                                              मन्दिर ,मस्जिद आज़ाद  हूआ।    गिरीजा घर भी सुना है, गुरुद्वारा...

" कोरोना" (भय पर विजय)

भय ना हो भयभीत ना हो ,भय को आओ जीत भी लो  विकार  उत्पन्न  हैं जो  मन में विचारो से शुद्ध करो   ................भय को आओ जीत भी लो । प्रकृति को  तुम स्वीकार करो भय का ना विस्तार करो  परिस्थिति हैं  जो स्थिति उसको तुम मजबुर करो   ...............भय को आओ जीत भी लो । महामारी एक बीमारी हैं इसकी  कुछ तैयारी हैं , महफूज रहना जरूरी है इसलिए थोड़ी दूरी , तन्हाई को दूर करो  ................. भय को आओ जीत भी लो । झुकता सिर जिसके"दर"* के आगे कह दो उसको हाथ उठाके,  हम नहीं घबराएंगे अगर यही मंजूर "तुझे" *"तो तेरे घर भी आएंगे" , मन अपना मजबूत करो  ................. भय को आओ जीत भी लो । *1 भगवान का घर  *भगवान                                            ~Deepshikha Jha 

"चेहरा"

सजाते हैं "चेहरा" बनाते हैं "चेहरा" कभी दिखाते कभी छुपाते हैं "चेहरा ", ना जाने कितने राज हैं इसमें  चेहरे पर लगते हैं चेहरा  ।                         "चेहरे" में क्या खास हैं चर्चे इसके                                 दिन - रात हैं  कभी  पड़ते हैं                                      चेहरा तो कभी लिखते हैं                                              चेहरा....।               ना जानें इस "चेहरे" पर कितने है पहरा       बनाते हैं चेहरा मिटाते हैं चेहरा,       अक्सर याद भी आते हैं चेहरा.... ।             ...