"कोरोना"
कोरोना का कहेर हैं ये समशान बना शहर है ये सड़क हैं सूनसान पड़ा , मनुष्य है वेजान परा "। जीवन है अनजान बना , पशुओं का पहचान बड़ा । अपने " अपनों से अनजाने है , सारा "जग" ही बेगाने हैं । निर्मल हुईं "गंगा "कि काया, ना जाने यह कोनसा साया। विचित्र , बना विनाश हैं ये पृथ्वी पर सर्वनाश ये । देवों का स्वराज हूआ " मन्दिर ,मस्जिद आज़ाद हूआ। गिरीजा घर भी सुना है, गुरुद्वारा...