"चेहरा"
सजाते हैं "चेहरा" बनाते हैं "चेहरा" कभी दिखाते कभी छुपाते हैं "चेहरा ", ना जाने कितने राज हैं इसमें चेहरे पर लगते हैं चेहरा ।
"चेहरे" में क्या खास हैं चर्चे इसके दिन - रात हैं कभी पड़ते हैं चेहरा तो कभी लिखते हैं चेहरा....।
ना जानें इस "चेहरे" पर कितने है पहरा
बनाते हैं चेहरा मिटाते हैं चेहरा,
अक्सर याद भी आते हैं चेहरा.... ।
एक "चेहरा" में राज कई गहरा ना खुशी छिपे ना । दर्द ना जाने कितने नक्शे बनते हैं चेहरा....।
"चेहरे" पर कई दाग हैं गहरा मिटते चेहरे पर मीटा जाते वहीं चेहरा
सजाते हैं "चेहरा" बनाते हैं चेहरा कभी दिखाते कभी....।
~Deepshikha Jha
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