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चौथ की रात

चांद तारे आसमां में होंगे , हम - तुम इस जहां में होंगे  रातों की सौगात होंगी , तेरी - मेरी आंखों  ही आंखों में बात होंगी ।  दीये की रोशनी आंखों में जग मगाएंगी फ़िर बीते लम्हों कि याद दिलाएगी चौथ पर ये चांद   नट - खट रूप दिखलायेगा बादलों में छुपता  नज़र आएगा। चांदनी रात में सखियों के साथ में , चांद निकलने की आश में पलकें बिछाएं प्यास में चांद निकलने की आश में , हम तुम एक साथ में । आयु हो पिया की उतनी, दीपशिखा में रोशनी जितनी जन्म - जन्मों तक साथ हो , हर जनम में मिलनें की  आश हो , चौथ से मांगू यही दूआ आख़री सांस तक तू मेरे पास हो ।                                                    ~Deepshikha Jha