अमिताभ

नभ में तैरता एक "सितारा" हैं आप ।
हर आंख में टीम - टीम करता "तारा" है आप।
एक चांद "आसमां" में एक चांद हैं "जमी" पर।
"सूरज" सा तेज़ बिखेरता "मुस्कान" है यही पर ।

नदियों की लहरें उठकर देती "सलामी" जिसको 
"पवन" के झोंके अक्सर जुल्फें सबरें "उनके"।
पंझी ,बहारें आकर धुन सुनती "जिनको",
देखकर "विनम्र" उनको झुक जाती फूलों की डाली।

मंदिर में बसी "मूरत" लगती हैं उनकी सूरत ।
जो मिट ना सके वो "निशान" है "विनम्रता" की
पहचान है "नम्र" रहकर जोड़े हाथ सभी को 
इतने "प्रतिभावान" है "अमिताभ" कहते लोग 
उन्हें वहीं "ख्यतिवान" हैं।
                             ~Deepshikha Jha
 

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