"भूख"


न बड़ी शौहर न चैनो आराम 
मांगता हूं, परकृति ने जो दिया
उसका एहसान मानता हूं।

न कर्मचारियों से दुआ न सलाम मांगता हूं,
रोटी मिल - जुल बांट सकूं "रब" से इतना 
सा काम मंगाता हूं।

न गुज़रतें कारवां से बड़ी पहचान मांगता हूं
सुख हो या दुःख हो "पेट रोटी मांगता हैं"
भूख से थोड़ी आराम मांगता हूं।

न सफलता को सिर चढ़ने दिया,
न असफत में डुबोया ख़ुद को,
सुरो में गुम "संगीत" के और नशा 
न हुआ मुझ को।
                     ~दीपशिखा झा✍️


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