विश्व कोरोना "भारत दीपों महोत्सव"
५अप्रैल २०२० की बात हैं जब सम्पूर्ण विश्व एक महामारी" कोरो ना " से निपटने के लिए महीनों से प्रयाास कर रहा था वहीं हमारे भारत भी अनेकों प्रकार कि कठिनाइयों का सामना कर रहा था । सहर से गांव तक में सभी प्रकार सुविधाएं बंद होने के कारण जन-जीवन प्रभावित हो रही थी । सभी राज्यों में कर्फ्यू जारी कर दिया गया था सरकार के द्वारा तथा जनता से अपील की गयी "जो व्यक्ति जहां " हैं वहीं रहें अर्थात् अपने घरों में ही रहे । यह सुनकर वेेेेेचारी भारत कि जनता अपने रोजमर्रा कि जरूरतों का सामना जुटाने
लगीं बाद में स्थित को देखते हुए प्रशासन ने जनता कि सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई तथा अन्य नीजी एवं सझम लोगों ने भी बढ़ -चढ कर सहयोग कर रहे हैं ।
कुछ गरीब मजदूर वर्ग के लोग जो अपने गांव से शहर में कमाने*(नौकरी करने वाले) और झूगगी -झोपरी में रहने वाले पैदल ही अपने गांव नीकल परे ।
जब सोसल मीडिया के द्वारा लोगों को पता चला तब सरकार और नीजी संगठनों कि मददत से उन्हें घर पहूंचाय गया ।
जहां एक तरफ हजारों लोग इस "कोरोनावायरस "नामक महामारी से ग्रसीत हैं और हजारों कि संख्या में मोते हो रही हैं। यहां तक कि कुछ सौ एक हमारे देश के सेनीक और डॉक्टर भी मोते के भेंट चढ़ गए हैं।
इस परीझा की घरी में हमारे देश एकता और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। अनेक विविधताओं से भरा हुआ "हमारा भारत " देश इतिहास रचने में लगा था २८ मार्च २०२०को प्रधान मंत्री जी कहने पर साम ५ बजे सभी राज्यों में ताली- थाली बाजाकर जान पर खेल रहे डॉ और हमारे देश के सीपाहीयौ होंसला बढ़ाने में जरा भी कसर नहीं छोड़ी है देश बासीयो ने। जीसमे हमारी आधी जनता यह सोच कर सहयोग कर रही थी कि ताली-थाली बजाने से महामारी भाग जाएगी ।खेर जनता तो जनता है।
अब अगला इतिहास रचने का वक्त आ चुका था यह दिन ५अप्रैल२०२० का था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आवाहन किया गया था सभी राज्यों में सभी जनता को अपने घर के बाहर" दीप, मोमबत्ती, फैश लाईट " जलाकर रखें नो मीनट के लिए और घर कि सभी लाईट बंद कर दिया गया था । किसी ने खूब कहां है"जब सम्पूर्ण विश्व डगमगा रहा था तब हमारा देश जगमगा रहा था" देश की एकता और अखंडता को देखते हुए बहुत खुशी हो रही थी ।
एक तरफ हजारों उन मां, बहनों तथा पत्नी-बच्चों के लिए सोच कर मन भारी हो रही थी जीनके घर से आज कोई गुजारा होगा उन्होंने यह आतिशबाज़ीयो कि सौर उनके मन को तीर की तरह भेद रही होगी । इस कठिनाइयों में "जहां हमारे देश में सभी का साथ सब का विकास नारा है" क्या। वहां हमारे देश बासीयो को सभी के दर्द में साथ देने के बजाय फाटाके आतिशबाजी करने उचित लगा। एक दीया भी काफ़ी होता है अन्धकार दुर करने के लिए।
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