वर्षगांठ

साथ साथ चले ना जाने कब उम्र वर्षों गुज़र गए 
तुम आज भी वही सुर्ख गुलाब सी लगती हो 

राहें सुंशान थी जब तन्हा हुआ करते थे
सफ़र में तेरे साथ - साथ जिंदगी और हसीन
होती रही हम एक - दूसरे के साथ चलते रहे
ना जाने वक्त कब गुज़रा  कुछ याद नहीं 

जिंदगी के हर दौर में तुम मेरे साथ रही 
"जिंदगी" छोड़ा था मेरा साथ एक दफा
पर तू मेरा हाथ थामे रही ,तेरे विश्वास 
पे ही खड़ा हूं  ए "हमसफ़र "
 तेरे साथ फिर चल पड़ा हूं मैं 
                            ~Deepshikha Jha

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